गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को सरवाइकल कैंसर भी कहा जाता है : डॉ. सुजाता

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देहरादून। जीआईसी किशनपुर में कैंसर से बचाव पर सेमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमीनार की मुख्य वक्ता 100 सशक्त महिलाओं में से एक एवं राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय द्वारा सरवाइकल कैंसर के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। सरवाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हंै। वैसे तो कैंसर किसी को भी हो सकता है पर कुछ खास तरह के कैंसर जो सिर्फ स्त्रियों को ही होता है, उनमें से एक है गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को सरवाइकल कैंसर भी कहा जाता है। सरवाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में सर्वाधिक होने वाला कैंसर है। यह बच्चेदानी या गर्भाशय के मुँह की कोशिकाओं में विकसित होता है। डॉ० सुजाता संजय ने कहा कि, सरवाइकल कैंसर उन महिलाओं में देखा गया है, जो कम उम्र में यौन संबंध बनाना शुरू कर देती हैं। एक से अधिक साथियों के साथ असुरक्षित सैक्स करती हैं और सैक्स के प्रति बहुत अधिक सक्रिय होती हैं।
सरवाइकल कैंसर डूमन पेपिलोमा वायरस की वजह से होता है एचवीपी वायरस पुरुषों के वीर्य में होता है। सैक्स के दौरान एचवीपी वायरस पुरूषों से महिलाओं की योनि में पहुंच जाता है। सरवाइकल कैंसर के सर्वाधिक मामले 15-44 आयु वर्ग की स्त्रियों में देखने को मिल रहा है। डॉ० सुजाता संजय ने व्याख्यान के दौरान बताया कि बच्चेदानी के मुँह के कैंसर का प्रारम्भिक अवस्था में निदान एवं उपचार संभव है जिसमें पैप टैस्ट द्वारा आप एक साधारण रिकीनिंग तकनीका जिसे वी.आई.ए. (विजुअल इन्स्पेक्शन विद एसेटिक एसिड) कहते हैं, के द्वारा तत्काल परिणाम जानने हेतु यह जाँच करा सकती है। सभी यौन सक्रिय महिलाओं तथा रजोनिवृत्ति के पश्चात प्रौढ महिलाओं को भी प्रतिवर्ष अपनी जांच करानी चाहिए। इसके अलावा आप अपने परिवार की सभी किशोर युवतियों तथा अविवाहित युवतियों अर्थात् यौन सक्रिय होने से. पूर्व महिलाओं का एच.पी.पी. टीकाकरण करवाकर सरवाइकल कैंसर से बचाव कर सकती है परंतु याद रखें कि टीकाकरण के पश्चात् नी नियमित रूप से वी.आई.ए. स्क्रीनिंग या पैप स्मियर टैस्ट तथा एच.पी.वी.डी.एन.ए. टैस्ट के द्वारा तीन वर्ष के मध्य एक जाँच कराने की आवश्यकता होती है। पैतीस वर्ष से अधिक उम्र की महिला तथा जिस महिला की शादी को लगभग 5-6 वर्ष हो गए हो, प्रतिवर्ष अपनी जाँच करवानी चाहिए। इस जाँच के द्वारा कोशिकाओं का असामान्य व्यवहार कैंसर होने के काफी समय पहले ही ज्ञात किया जा सकता है। डा. सुजाता बताती हंै कि स्तन कैंसर की 4 अवस्था होती है स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 प्रतिशत से ज्यादा होती है दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60-70 प्रतिशत तक महिलाएं ठीक हो जाती है, वहीं तीसरे या चैथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है जो महिलाएं एक्सरसाइज करने से बचती है उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। मेनापॉज के बाद तो महिलाओं के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी होता है। अगर आपको हेवी एक्सरसाइज पसंद न हो तो रोज आधे घंटे की सैर कर सकती हैं आप चाहें तो बागवानी या तैराकी जैसे विकल्प चुनकर भी अपनी फिटनेस को मेंटेन कर सकती है। इससे पेट और कमर की चर्बी कम करने में भी मदद मिलती है। हाल ही में स्तन कैंसर पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई की विटामिन डी की कमी के साथ ही अगर मोटापा भी है तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है शोध में यह बात सामने आई कम बीएमआई के साथ शरीर में मौजूद विटामिन डी का अच्छा स्तर स्तन कैंसर से बचाव का काम करता है। सेवा सोसाइटी के सचिव डॉ० प्रतीक ने कैंसर रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने की मुहिम की सराहना की। इसके साथ ही सोसाइटी का मानना है कि कैंसर के लिए प्राथमिक जांच करनी बहुत ही अनिवार्य है। जिससे कि व्यक्ति के प्रथम चरण में पुष्टि हो जाये तो उसका इलाज कराना संभव हो जाये।

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