100 साल पुराना मकान

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Soulofindia

प्रफुल्ल ध्यानी

पौड़ी गढ़वाल में स्थित हमारे गांव रानाकोट जो की देवप्रयाग के नज़दीक स्थित है । ये मकान हमारे भाई सुधीर ध्यानी नंबरदार का पुस्तैनी मकान है । इस मकान की विशेषता ये है की इस में सीमेंट और सरिए का प्रयोग नहीं हुआ है । परंपरागत स्थानीय पत्थर की चिनाई मिट्टी गारे के साथ की गई है । तुन, बाज़ आदि पेड़ों की लकड़ी से दरवाजे और सहतीर बनाई गई हैं। उपर से दो मंजिला दिखने वाला ये मकान ढाई मंजिला इमारत है ।

जिसका एक भूतल अंडर ग्राउंड जैसा है । ये पशुओं के बाड़े के काम आता है । इस में दोनों तरफ दो चौक है जो महिला व पुरुषों के लिए प्राइवेट सेप्स के रूप में प्रयोग किए जाते हैं । अपने निर्माण के से100 से भी अधिक समय से आज तक ये ज्यो का त्यों खड़ा है। शायद ही कभी इस मे कोई मरम्मत आदि का कार्य हुआ हो।


ये एक उदाहरण है कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों से हम किस प्रकार से उच्च कोटि के भवनों का निर्माण कर सकते हैं। जो गुणवत्ता में किसी भी आधुनिक निर्माण से अधिक मजबूत और टिकाऊ हैं ।प्रकृति को और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए हम इस प्रकार के निर्माण को बढ़ावा दे सकते हैं जो सस्ते भी हैं और अच्छे भी हैं।


लेख प्रस्तुति प्रफुल्ल ध्यानी

फोटो आभार – Sudhir Dhyani,  Subodh Dhyani

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